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क्या अधिक जनसंख्या भारत के विकास में बाधा है?

भारत का हर कोना पर नुक्कड़ ज्यादा जनसंख्या का जीता जागता उदाहरण है। चाहे आप कहीं पर भी हो मेट्रो स्टेशन , रेलवे स्टेशन , अस्पताल , बस स्टॉप रोड , हाईवे या फिर एयरपोर्ट आपको हर जगह लोगों से भरी भीड़ नजर आएगी।


( उत्तर प्रदेश का जनसंख्या नियंत्रण कानून – एक साक्षात्कार )

साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी उस समय लगभग 120 करोड़ थी जो कि 2022 आते आते बढ़कर 140 करोड़ से ज्यादा की हो गई है। चीन के बाद सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत है। लेकिन जीवन की हाल ही की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 तक भारत चीन को आबादी के मामले में पीछे छोड़ देगा। इसी के साथ भारत से पूरी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा और दशकों तक बना रहेगा।


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तो आज हम बात करते हैं अधिक जनसंख्या कैसे भारत की विकास में बाधा बन सकती है , और अधिक जनसंख्या से कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है।

वर्तमान समय की बात करें तो आज भारत की बढ़ती हुई आबादी भारत की एक गंभीर समस्या बन गई है। भारत में बढ़ती आबादी की कई कारण है उनमें सबसे प्रमुख कारण है साक्षरता दर में कमी यानी कि कम पढ़े लिखे लोग ! कम पढ़े लिखे होने की वजह से कई लोगों फैमिली  प्लानिंग नहीं करते और ज्यादा बच्चे पैदा करते है। 

आप नीचे दी गई सूची के द्वारा समझ सकते हैं इस सूची में आप देखेंगे पिछले सालों में आजादी के बाद से लेकर आज तक सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम लोगों की बढी है और इसका प्रमुख कारण साक्षरता में कमी है । अगर आपने मेरा कुछ समय पहले का ब्लॉग पढा हो तो आपको या अवश्य ज्ञात होगा की साक्षरता दर में कमी होने से भी लोग ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं।

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इसी सूची के अनुसार आप देखेंगे कि इस्लाम के अलावा जैन , सिख , क्रिश्चियन , हिंदू , बौद्ध , पारसी इत्यादि धर्म में आबादी इस्लाम के मुकाबला कम हुई है। 

आप इस चीज को नीचे दी गई सूची से भी समझ सकते हैं कि भारत में सारे धर्मों में सबसे कम पढ़े लिखे लोग इस्लाम धर्म के हैं। आज के मुसलमानों को यह बहुत समझती बहुत जरूरी है कि जो गलतियां आप लोगों के बड़े बुजुर्गों ने की है उसे आप सुधारें और अपने बच्चों को पढ़ाए लिखाए , अच्छी तालीम दे। 

दूसरा कारण जो कि लगभग हर धर्म में मौजूद है वह है आजकल के लोगों की रूढ़िवादी सोच जिसके अनुसार लड़की पैदा करने के लिए योग कई बच्चे पैदा करते है जब तक लड़का न पैदा हो। 

आबादी के बढ़ने का एक प्रमुख कारण गरीबी भी है। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे ( एन एफ एच एस) की एक रिपोर्ट के अनुसार अपर क्लास में फर्टिलिटी रेट 1.5 का है , वही मिडिल क्लास की बात करें तो उसका 2.5 है तथा लोअर क्लास का फर्टिलिटी रेट 3.2 है। 


ऊपर दी गई फर्टिलिटी रेट का मतलब होता है एक औरत कितने बच्चे पैदा करती है । यूएन द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के अनुसार किसी भी देश के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है कि वहां का फर्टिलिटी रेट 2.1 हो। जिसका मतलब यह है कि एक औरत को 2 से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करनी चाहिए इससे यह होता है कि किसी देश की आबादी ना ज्यादा बढ़ती है और ना ही ज्यादा घटती है। 


अब आपके मन में यह विचार आ रहा होगा कि गरीब व्यक्ति सबसे ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करते हैं तो इसका जवाब है कि गरीब लोगों में यह धारणा होती है कि अगर घर पर ज्यादा सदस्य होंगे तो लोग ज्यादा कमाएंगे और उनका गुजर बसर आराम से हो जाएगा।

इसके अलावा गैरकानूनी प्रवासी जो कि ज्यादातर भारत के पड़ोसी देशों से रोजगार के लिए भारत आते हैं और यही बस जाते हैं वह भी भारत की जनसंख्या बढ़ने में एक बड़ा कारण है। 2016 में किरण रिजिजू ने असेंबली में यह बोला था कि भारत में वर्तमान समय में करीब 20 मिलीयन बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं।

              
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इनके अलावा आपको एक और रिपोर्ट के बारे में जानकर हैरानी होगी कि साल 2019 में कोरोना काल के दौरान दुनिया में 11 करोड़ से अधिक बच्चे पैदा हुए थे जिनमें से 2 करोड़ 10 लाख बच्चे अकेले भारत में पैदा हुए थे। हर साल भारत एक पूरे द्वीप ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर बच्चे पैदा कर रहा है।

अगर बात करें ज्यादा आबादी से होने वाले फायदों की तो ज्यादा आबादी होने से किसी भी देश का घरेलू बाजार बहुत बड़ा बन जाता है। अधिक आबादी होने से चीजे थोक में बनती है और ज्यादा इस्तेमाल भी होती है।

अब बात करते हैं अधिक आबादी से होने वाले नुकसानो की तो अधिक आबादी होने से किसी भी देश में सबसे पहले बेरोजगारी बढ़ती है और गरीबी अधिक फैलती है। भारत की जनसंख्या आज इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा , अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही , हर जगह प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। 

बढ़ती हुई आबादी से गरीबी भी बढ़ती है। इसे एक उदाहरण के तौर पर समझा जाए तो मान लीजिए किसी देश की कुल आबादी 10 करोड़ है और दूसरे देश की आबादी 100 करोड़ है। अब मान लीजिए कि उस देश में महंगाई दर 10% की है तो जिस देश की आबादी 10 करोड़ होगी उसके सिर्फ 1 करोड़ लोग गरीब होंगे , उसके मुकाबले जिस देश की आबादी 100 करोड़ है उसमें करीब 10 करोड़ लोग गरीब होंगे।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि गरीबी से भारत या फिर दूसरे विकासशील देशों में ही है। कई बड़े और विकसित देश जैसे कि अमेरिका , फ्रांस , ब्रिटेन आदि में भी गरीबी है लेकिन उनकी जनसंख्या के हिसाब से उनकी गरीबी हमें कम ही लगती है। 

गरीब जनसंख्या होने की वजह से रहने के तौर तरीकों में भी व्यक्ति के गिरावट आती है। दुनिया के देशों के डाटा के अनुसार प्रकाशित हुई वर्ल्ड ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत का स्थान 131 वां है। ज्यादा आबादी होने से उस देश के संसाधनों का भी इस्तेमाल बढ़ता है और जरूर इस्तेमाल भी। 

तो इन बातों से एक बात तो बिल्कुल साफ है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के जितने फायदे नहीं से कहीं अधिक नुकसान है। चीन अपने आप में एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन बावजूद इसके उसकी अधिक आबादी के कारण वह देश अभी तक अपने देश में गरीबी खत्म नहीं कर पाया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार चीन में आज भी गरीबी दर 7% से ज्यादा है।


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अब आपके दिमाग में यह विचार अवश्य आया होगा कि भारत अपनी बढ़ती आबादी को कैसे रोक सकता है उसका जवाब है भारत बढ़ती हुई आबादी को रोक नहीं सकता लेकिन कम जरूर कर सकता है। तो इसके लिए भारत सरकार को इसी दिशा में कुछ सख्त कदम उठाने हैं और नए बिल पेश करने होगे। जैसे कि पापुलेशन कंट्रोल बिल जो भी भारत के लिए वर्तमान समय में अत्यधिक आवश्यक है।

इन सबके अलावा जब भी भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बात होती है तो कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत में इस बिल को लाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि भारत का फर्टिलिटी रेट 2 का है जो कि युवाओं द्वारा प्रस्तावित फर्टिलिटी रेट जोकि 2.1 का है लगभग उसके बराबर है। जिसके अनुसार भारत की आबादी स्वतः ही आने वाले समय में कम हो जाएगी। 

तो ऐसे लोग आपको हमेशा आधी बात ही बताते हैं , पूरी बात यह है कि भारत में आज भी कई प्रदेशों में फर्टिलिटी रेट कई ज्यादा है जिनमें प्रमुख है बिहार , उत्तर प्रदेश , झारखंड , असम , छत्तीसगढ़ इन सभी प्रदेशों में फर्टिलिटी रेट बहुत ज्यादा है। प्रदेशों की साक्षरता दर भी बहुत कम है तो सरकार को इन प्रदेशों में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना आवश्यक है।

          
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इसके अलावा लोगों को बच्चा गोद लेना शुरू करने चाहिए। इससे दो काम होंगे पहला जो अनाथ बच्चे हैं उनका भविष्य भी सुरक्षित होगा तथा जनसंख्या भी नियंत्रित होगी। UNICEF की एक रिपोर्ट के द्वारा यह बताया गया कि भारत में आज 3 करोड़ से अधिक बच्चे अनाथ है जिन्हें गोद लेने वालों की संख्या आज भी बहुत कम है।

तीसरा उपाय यह है कि भारत में लोगों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करना होगा जिससे उन्हें इस चीज का ज्ञान हो कि सिर्फ बच्चे पैदा करना ही काफी नहीं है उन्हें पढ़ाना, लिखाना , उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है। और यह सब इतना आसान नहीं है । जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए हमें महिलाएं को शिक्षा देना भी बहुत जरूरी है। 

इनके अलावा हमें आदमी तथा औरत की बीच अंतर कम करना होगा। लोगों का समझना बहुत जरूरी है कि देश की विकास के लिए आदमी तथा औरत दोनों का समान विकास होना अत्यधिक आवश्यक है। इस दुनिया में सिर्फ वही देश विकसित होता है जहां आदमी – औरत दोनों मिलकर काम करते हैं और देश को आगे बढ़ाते हैं।

                                    ★ जय हिंद ★




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