google-site-verification=zg3Xci58-908fztFVfw5ltDDK7t7Q250EoMrB9rswdA भारत के 5 सबसे कर्जदार राज्य !

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Hello India ! This is Gaurav mahawar. I am from Rajasthan,kota. Here I post my blogs about Indian politics, western views about india. I have another blog too.... Where I discuss about health tricks n tips All n all in hindi.
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भारत के 5 सबसे कर्जदार राज्य !

 इस समय भारत पर 3.1 ट्रिलियन डॉलर्स का कर्जा है जो कि उसकी जीडीपी का 86% है। भारत पर कर्ज आपको डॉलर्स में ज्यादा इसलिए लग रहा है क्योंकि अभी भारतीय रुपए की कीमत में बहुत ज्यादा गिरावट चल रही है।


             ( रुपए के गिरने और बढ़ने के नुकसान तथा फायदे ! )

 अब जैसे ही भारतीय रुपए में गिरावट का दौर कम होगा और रुपए उठना उठना चालू होगा तो आपको यह कर दो प्रति 2.8 ट्रिलियन डॉलर्स दिखेगा।

लेकिन अगर देखा जाए तो बीते कुछ वर्षों में भारत का कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ रहा है लेकिन उसी के साथ भारत की प्रथम अवस्था भी बढ़ती जा रही है जिससे जीडीपी और कर्ज के बीच का अंतर भी ज्यादा होता जा रहा है। और ये अच्छी बात है।



 बात अगर बाहरी कर्जे की बात की जाए तो मार्च 2022 तक भारत का बाहरी कर्जा 620 बिलियन डॉलर था जो कि उसकी अर्थव्यवस्था का 19.9% है।

फिर भी ग्लोबल इंस्टिट्यूशन और आरबीआई की बात माने तो भारतीय अर्थव्यवस्था में कर्ज का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। और भारत की स्थिति श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी नही होगी क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था और उसके कर्ज के बीच का अंतर बहुत ज्यादा है। इसी के साथ साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $600 है जो कि उसे ऐसी स्थिति में नहीं जाने देगा।

आपको जानकर हैरानी होगी कि कई विकसित देशों का कर्ज की अर्थव्यवस्था से 100% ज्यादा है। देखा जाए तो भारत का कर्ज़ विकासशील देशों के मुकाबले बहुत कम है लेकिन अगर बात की जाए भारत के प्रदेशों की तो उनकी स्थिति इस मामले में बहुत अलग है।

                               (पूरी रिपोर्ट पढ़ें –)

 आरबीआई की अभी हाल ही की रिपोर्ट के अनुसार पांच राज्य भारत के ऐसे हैं जिन्होंने अपना खर्च इतना बढ़ा दिया है कि बजट का एक बड़ा हिस्सा उस कर्ज के ब्याज को चुकाने में जाता है लिहाजा अगर इन राज्यों ने अपना खर्च नियंत्रित नहीं किया तो आने वाले कुछ समय में इनकी स्थिति श्रीलंका जैसी हो सकती है।


                                  (विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें –)

भारत सरकार ने कुछ समय पहले देश पर कितना कर्ज होना चाहिए और प्रदेश पर कितना खर्च होना चाहिए इसके लिए कुछ समय पहले एक एन.के सिंह कमेटी बनाई थी। इसी कमेटी द्वारा बताया गया था कि किसी भी राज्य पर 20% से ज्यादा कर्ज़ नहीं होना चाहिए। 

इसका मतलब की अगर किसी राज्य की अर्थव्यवस्था ₹100 की है तो उसका कर्ज ₹20 से अधिक नहीं होना चाहिए। अब यह सिर्फ मैंने एक उदाहरण देकर आपको समझाया है।

बात करते हैं उन 5 राज्यों की जिनका कर्ज़ उनकी अर्थव्यवस्था से 20% ज्यादा है —



सूची में पांचवा स्थान वेस्ट बंगाल का है जिसका अर्थव्यवस्था में कर्ज  34.4% है। यह प्रतिशत आने वाले वर्ष 2027 में 37% हो जाएगा ऐसा इसलिए क्योंकि वेस्ट बंगाल की सरकार है राज्य के विकास के लिए कोई बड़े कदम नहीं उठाए है। 

चौथे स्थान पर है केरेला। फिलहाल केरेला का कुल कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था का 37% है। भविष्य की बात करें तो साल 2026 तक केरला का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था का 38.2% होगा।

तीसरे स्थान पर है बिहार। आरबीआई के अनुसार बिहार का कुल कर्ज़ उसकी अर्थव्यवस्था का 38.2 प्रतिशत है। बिहार के बारे में एक संतोषजनक बात यह है कि बिहार का कर्ज आने वाले साल 2026–27 तक 31% हो जाएगा।

कर्ज के मामले में राजस्थान का स्थान दूसरा है। राजस्थान का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था का 39.5 प्रतिशत है। बात की जाए भविष्य की तो राजस्थान का कर्ज 2027 तक 39.4% होगा। जो कि तब भी लगभग उतना ही रहने वाला है कितना की आज है।

सबसे अधिक कर्ज की बात की जाए तो पंजाब का स्थान पहला है। पंजाब का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था का 45.9 प्रतिशत है। बात की जाए भविष्य की तो आने वाले साल 2027 तक पंजाब का 46.8% होगा।


                                ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें –)

आरबीआई के मापदंड से करीब 20% कर्ज है पंजाब पर। जो की आने वाले सालों में बढ़ने ही वाला है। अब अगर आप विचार कर रहे हैं कि इन राज्यों का कर्ज बढ़ता क्यों जा रहा है? तो जवाब बहुत सीधा सा है। सभी राज्य अपने बजट का 90 फ़ीसदी से ज्यादा हिस्सा पेंशन, सब्सिडी , सरकारी कर्मचारियों के वेतन और कर्ज की किश्त चुकाने में खर्च करती है। 

इसी के साथ राज्य के विकास के लिए सिर्फ 10% ही खर्च करती है। इससे रोजगार के अवसर पैदा नही हो पाते, और राज्य का कर्ज बढ़ता ही जाता है। इसी कर्ज को चुकाने किए राज्य अगले वर्ष और कर्ज ले लेती है । इससे राज्य का कर्ज घटने की बजाय बढ़ता ही जाता है।

इन सबके अलावा इन राज्यों की सरकारें कई सुविधाओं का भी एलान करती है। चुनावों को जीतने के लिए यही सरकारें बिजली , पानी आदि पर सब्सिडी देने का वादा करती है। ट्रांसपोर्टेशन पर सब्सिडी का वादा करती है। फिर जब यह सरकारी चुनाव जीत जाती है तब अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए ज्यादा खर्च इन सब की सब्सिडी देने में करती है। 

इन सभी कारणों से सरकारें विकास खर्च नहीं कर पाती। और राज्य का कर्ज बढ़ने लगता है। अब अगर राज्यों को अपना कर्ज कम करना है तो उन्हें अपने बजट का एक तिहाई हिस्सा राज्यों के विकास पर खर्च करना होगा। 

आरबीआई में बताया है कि राज्यों को अपने यहां रोजगार की नए अवसर पैदा करने होंगे। इसी के साथ साथ राज्यों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर,  एजुकेशन और हेल्थ पर खर्च बढ़ाना होगा। इसके साथ साथ राज्य सरकार को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी सिर्फ जरूरतमंद लोगों को ही प्रदान करनी होगी। 



चुनावों को जीतने के लिए सरकारों को मुफ्त सुविधाओं के बारे सोच समझकर बोलना सीखना होगा। पांच राज्यों के अलावा पांच और राज्य की है जिनका कर्ज उनकी अर्थव्यवस्था का 20% से ज्यादा है। यह पांच राज्य है आंध्र प्रदेश , उत्तर प्रदेश , हरियाणा , झारखंड और मध्य प्रदेश।

लेकिन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का कर्ज आने वाले कुछ सालों में आरबीआई के अनुसार बहुत तेजी से कम होगा क्योंकि यह प्रदेश अपने-अपने राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत तेजी से काम कर रहें है।

अगर भारत को अपने 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के महत्वकांक्षी सपने को पूरा करना है , तो यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि भारत के राज्य जल्द से जल्द अपना कर्ज कम करे और अपने राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग करें।

अगर इस ब्लॉग में कुछ जानकारी है जो मुझसे छूट गई है उसे कॉमेंट में अवश्य बताएं ताकि मेरे साथ साथ बाकी लोगों को भी जानकारी मिले!

                                ★ जय हिंद

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