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कैसे अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को सुधारे ?

 यह बात बिल्कुल सही है कि आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल से किसी को भी अपना मुरीद बना सकते हैं । एडोल्फ हिटलर की सबसे बड़ी ताकत वही थी कि वह एक अच्छा वक्ता था जब कभी भी बोलना शुरू करता था तो सामने खड़े लोगों में एक आत्मविश्वास बढ़ जाता था।



बात अगर भारत के परिपेक्ष में की जाए तो आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सबसे बड़ी ताकत यही है कि वह एक अच्छे वक्ता है।  लोग उनकी बात सुनने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं उनके भाषणों को पक्ष के साथ-साथ विपक्ष भी बड़े ध्यान से सुनता और समझता है।

तो प्रैक्टिकल बात यही है कि अगर आपकी बोलने की स्किल अच्छी है तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं , बहुत आगे बढ़ सकते हैं। एक सत्य बात यह भी है कि अगर आप आगे बढ़ना चाहते हो तो आपने एक हुनर के साथ उसकी जानकारी ही काफी नहीं है बल्कि इसी के साथ अगर आपका बोलने का ढंग लोगों को पसंद आता है तो आप सही मायने में एक सफलतम इंसान बन सकते हैं। 

तो सबसे पहले बात करते हैं कि किसी भी व्यक्ति को अपना बोलने के ढंग में सुधार करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए ।

तो देखिए कम्युनिकेशन स्किल हर किसी की बहुत अच्छी नहीं होती है और कुछ लोगों की बहुत अच्छी होती है इससे यह है की ऐसे लोग लोगों के बीच अपनी बात बेहतर ढंग से रख पाते हैं । ऐसे लोग आकर्षण का केंद्र बनते हैं तथा ऐसे लोगों की बात सुनना लोग भी पसंद करते हैं।



वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो औरों से बात करने में कतराते हैं जिन्हें डर लगता है और जो अपनी बात ढंग से नहीं रख पाते। अगर ऐसी स्थिति में आप हैं तो सबसे पहले डरना बंद करो क्योंकि शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में सबसे अच्छे वक्ता भी एक समय बहुत ज्यादा डरते थे लेकिन आज लोग उनकी बातों तथा भाषणों की मिसाल देते हैं।

महात्मा गांधी ने जब अपनी पहेली सभा को संबोधित किया था तो वह भी सर से लेकर पैर तक कांप गए थे। तो आपको परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि बड़े से बड़ा वक्ता भी पहली बार बोलते वक्त नर्वस हो जाता है। 

सबसे पहली चीज कम्युनिकेशन स्किल में मायने रखती है वह है आपका आत्मविश्वास । इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपनी बात अंग्रेजी में बोलते हैं या फिर हिंदी में अगर आपका आत्मविश्वास अच्छा है इस बात से औरों को या फिर आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 



बात करें आत्मविश्वास की तो यह आता है आपकी जानकारी से तो सबसे पहले अपने आप को एक जानकर बनाइए जो चीजों के बारे में अच्छा खासा जानता हो। आपने अगर कभी गौर किया हो तो अगर आपसे कोई ऐसी चीज के बारे में बात करें जिसके बारे में आप जानते है तो आप देखेंगे की आपका बोलने का ढंग तथा समझाने का बिलकुल अलग हो जाता है। आप अपनी बात अच्छे से कह पाते है बिना किसी झिझक के।

इसे बढ़ाने के लिए आप एक और काम  कर सकते हैं कि अपने आप को आईने के सामने खड़ा करकर खुदसे बात करें। ऐसा सोचें कि आप किसी सभा को संबोधित कर रहे है। आप देखेंगे की आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी ।

इसी कड़ी में दूसरा तथ्य आता है की क्या आप एक बेहतर सुनने वाले और पढ़ने वाले हैं या फिर नहीं। अगर आप सामने वाले व्यक्ति पर अपना प्रभाव छोड़ना चाहते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि आप एक बेहतर श्रोता हो।

जब भी कोई बात करें और वो ज्यादा जरूरी हो या फिर वह इंसान अपनी परेशानी हॉर्स के साथ शेयर कर रहा है तो यह बहुत जरूरी है यह उसकी बात सुने और बेहतर है जवाब उसकी बात सुने तो थोड़ा है उसकी ओर झुक जाए। 

इन सभी छोटी छोटी चीजों का एक बहुत ही गहरा पर सकारात्मक प्रभाव वक्ता पर पर पड़ता है और वह आपका सम्मान ज्यादा करने लगता है। और कही न कही हम सभी चाहते है कि सामने वाला व्यक्ति आपका सम्मान करें , तो उसके लिए आपको सबसे पहले उन्हें सम्मान देना सीखना होगा। 

अगर आप वाकई में एक बेहतर वक्ता बनना चाहते हैं तो यह अत्यधिक आवश्यक है कि आप बाहर दोस्तों में या फिर रिश्तेदारों में बोलना शुरू करें। जब आप बाहर बोलना शुरू करते हैं तो कहीं ना कहीं आपके अंदर आत्मविश्वास उत्पन्न में होता है और आप कहीं पर भी अपना वक्तव्य रख  पाते हैं।

तीसरा तथ्य आपकी बॉडी लैंग्वेज होती है अगर जब भी आप किसी से बात करें तो अपने कंधों को झुकाए नही तथा बात करते समय उस व्यक्ति की आंखों में देखकर अपनी बात रखें। इसे यह सिद्ध होता है कि आपमें आत्मविश्वास है इसीलिए आप इतने आसानी से अपनी बात रख पा रहे है। 

इन सबके अलावा आप जब भी किसी व्यक्ति से बात करें तो ध्यान रखें आपके हाथ ज्यादा मूव ना करें। इसी के साथ साथ कोशिश की आप अपनी बात सामने वाले व्यक्ति की बात खत्म होने के बाद शुरू करें। आमतौर पर जब भी कोई व्यक्ति आपकी बात बोलते समय काट देता है तो क्रोध तथा चिड़चिड़ा हट का भाव उत्पन्न होता है जो किसी तरह से आपके लिए नहीं है। 

इन सबके बावजूद अगर आप अच्छे से बोल नहीं पाता तो आप अपनी बात कहने की पहले तथा कहने के दौरान कुछ देर विराम ले सकते हैं अगर उदाहरण के तौर पर बात करें तो हमारे भारत के दिवंगत प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई जी भी जब कभी भाषण देते या अपनी बात रखते थे तो वे भी कुछ समय बीच बीच में रुक कर बोला करते थे। 

इसके साथ यह कहने की आवश्यकता तो बिलकुल भी नहीं है कि श्री अटल बिहारी बाजपेई कितने अच्छे वक्ता थे। वें जब भी बोलते थे तो पक्ष के साथ-साथ विपक्ष भी उनकी बातों को सुनता था। 

आजकल की राजनीति में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी मैं भी एक अच्छे वक्ता के पर्याप्त गुण है जिससे वह जब भी किसी जनसभा में जाते हैं या फिर संबोधित करते हैं तो लोग काफी आकर्षित होते हैं।

इनके अलावा एक और ऐसे शख्सियत रह चुके हैं जिनके सिर्फ बोलने के तरीके से जनता इन से सीधे सीधे जुड़ जाती थी। और वह नाम है बालासाहेब ठाकरे जब भी बालासाहेब बोलते थे तो हजारों और लाखों की संख्या में जुट कर उनके भाषणों को सुना करते थे तथा उनका अनुसरण भी करते थे।

अगर वर्तमान की सभी शख्सियतों की बात हो ही रही है तो हम बात एक और व्यक्ति की करते हैं जोकि हमारे राष्ट्रपिता भी है। इनका नाम था महात्मा गांधी। जब भी गांधीजी बोलना शुरू करते थे तो लोग इन से सीधे सीधे जुड़ जाते थे। 

सिर्फ अपने बोलने की अंदाज से ही गांधी जी ने देश में आजादी के आंदोलन की चिंगारी को फूंका और लाखों करोड़ों लोग उनकी एक आवाज पर देश की आजादी के लिए एक साथ खड़े हो गए।

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी का कार्यकाल भी अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत का स्वर्णकाल रहा लेकिन आज भी भाजपा उनके ना बोलने के कारण ही उन्हें निशाना बनाती है। तो अर्थ बिल्कुल सीधा सा है अगर आप आत्मविश्वास से बोलते हैं तो लोग आप से दो बातें कहने से पहले सोचते हैं जब यह इंसान मेरी बातों का जवाब देना शुरू करेगा तब मैं क्या करूंगा?

कुल मिलाकर कुल मिलाकर बात यह है कि अगर आप एक अच्छे श्रोता या वक्ता है तो आप काफी कम समय में काफी विकास कर सकते है। 

                                  ★  जय हिंद ★


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