भारत और अमेरिका दोनो लोकतांत्रिक देश है। भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो वही अमेरिका जहां दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र रहा है। वर्तमान में ये दोनो देश काफी अच्छे संबंधों के दौर से गुजर रहे है।
ये सब तो वह जानकारी है जो हम सब जानते है , पर जो हम शायद नहीं जानते वो ये कि अमेरिका के भारत से इतने अच्छे संबंध पहले नही थे। अमेरिका भारत को अपने लिए एक अच्छा मित्र देश नही मानता था। लेकिन वो सब कल की बात थी , आज अगर देखा जाए तो अमेरिका अपने रिश्ते भारत के साथ मजबूत करने में लगा हुआ है। भारत भी इसी काम में आगे बढ़ते हुए अपने संबंधों को मजबूती देने में लगा हुआ है।
जैसा कि हम सब जानते है कि अमेरिका दुनिया की एक महाशक्ति है जिससे अच्छे संबंध भारत के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते है। लेकिन अभी भी कई जियो पॉलिटिक्स एक्सपर्ट मानते है कि भारत को अमेरिका से रिश्ते तो अच्छे करने चाहिए लेकिन हमें अमेरिका पर पूर्ण भरोसा नही करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका वो देश है जो सबसे पहले खुद के बारे में सोचता है।
इसका ताजा उदाहरण हमे अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का अचानक पुल आउट करने पर देखने को मिला । इस में अलावा अमेरिका ने हाल ही में अपने सांसे पुराने मित्र देश फ्रांस से न्यूक्लियर सबमरीन डील को रद्द करके भी यही साबित किया है।
इन दोनो उदाहरणों से एक बात तो साफ है , कि ऐसा को सगा नही जिसे अमेरिका ने ठगा नही। तो सबसे पहले बात करते है भारत और अमेरिका के पहले के संबंधों की –
पहले के समय भारत – अमेरिका के संबंध :–
भारत तथा यूएस के बीच संबंधों की शुरुआत सन् 1949 में हो गई थी । तब के अमेरिका राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन तथा भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूजी की मुलाकात हुई। लेकिन नेहरू जी जिनकी पॉलिसी समाजवादी थी तथा अमेरिकी पॉलिसी जो की पूंजीवादी थी , इनके चलते भारत तथा अमेरिका के संबंध मात्रा औपचारिकता भरे ही बने रहे ।
सन् 1954 में अमेरिका ने भारत को इग्नोर करते हुए पाकिस्तान के साथ एक CENTO नामक ग्रुप की स्थापना की। पाकिस्तान के साथ अमेरिका की ये ट्रिटी भारत को पसंद नही आया और भारत ने सोवियत यूनियन के साथ रिश्ते मजबूत करने पर अपनी पॉलिसी आगे बढान लगा ।
लेकिन इन सब बावजूद भारत ने सन् 1961 में नॉन अलाइनमेंट मूमेंट शुरू किया , जिसके चलते भारत ने दुनिया को ये संदेश दिया कि अमेरिका तथा सोवियत के बीच चल रहे कोल्ड वॉर में भारत किसी के साथ नहीं है। भारत के इस फैसले के बाद से अमेरिका तथा भारत के बीच रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए।
1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में अमेरिका ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। लेकिन इन सब के बावजूद जब भारत की 1971 में जीत हुई तब अमेरिका ने भारत को एशिया में एक बड़ी शक्ति माना।
इसके बाद जब भारत ने सन् 1974 में परमाणु परीक्षण किया तब अमेरिका खासा नाराज हुआ और उसने भारत पर कई प्रकार के प्रतिबंध भी लगा दिए।
इसके बाद सन् 1998 में भारत ने जब परमाणु बम का सफल परीक्षण किया तब अमेरिका ने इसका खुलकर विरोध किया। तब के अमेरिका राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तो भारत से रिश्ते खत्म करने को धमकी भी दे दी थी। लेकिन साल 2001 में अमेरिका को आतंकवाद से लड़ने में भारत की महत्ता का ज्ञान हुआ।
साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेई जी ने अमेरिका में एक ज्वाइंट सेशन को संबोधित किया , और इसी के साथ दोनो देशों ने नए संबंधों की नींव रखी। इसके बाद वर्ष 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अपनी यात्रा से दोनो देशों के संबंधों को एक नई दिशा दी।
फिर साल 2008 में हुए मुंबई बम धमाकों में पहली बार अमेरिका ने पाकिस्तान पर निशाना साधा। इसी के साथ साल 2008 में ही अमेरिका और भारत के बीच हुई सिविल न्यूक्लीयर डील से रिश्तों में और मधुरता आ गई।
फिर साल 2010 में ओबामा की भारत की यात्रा हुई। इसमें ओबामा ने भारतीय कारोबारियों को संबोधित किया। इसी यात्रा के दौरान ओबामा ने भारत के साथ कई एग्रीमेंट साइन किए और निवेश करने की दिशा में कई डील साइन की।
वर्तमान समय में भारत–अमेरिका के संबंध :—
इसके बाद साल 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अमेरिका दौरे पर गए , जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हे गुजराती में ‘ केम छो ’ कहकर उनका स्वागत किया। इसके अगले ही साल बराक ओबामा भारत के गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि बने , इससे पूरी दुनिया में एक संदेश गया कि भारत तथा अमेरिका एक साथ है।
फिर साल 2019 में मोदी जी अमेरिका गए। ‘हाउडी मोदी’ के समारोह को कौन भूल सकता है? इस मुलाकात में पीएम मोदी और प्रेसिडेंट ट्रंप के बीच अलग ही केमिस्ट्री देखने को मिली। फिर उसके अगले ही साल ट्रंप भारत के दौरे पर आए। इस दौरे पर भारतीय प्रधानमंत्री के साथ करीब 1 लाख से ज्यादा लोगो ने अमेरिकी प्रेसिडेंट का स्वागत किया।
अब इस साल मोदी जी अमेरिकी दौरे पर गए जहां उन्होंने क्लाइमेट चेंज , कोविड महामारी , अफगानिस्तान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बाइडेन से बातचीत की। वर्तमान समय की बात की जाए तो भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत है। इतने अच्छे संबंध आजतक कभी भी भारत और अमेरिका के नही हुए जितने आज है।
गैलप वर्ल्ड अफेयर सर्वे नामक संस्थान की रिपोर्ट की माने तो भारत अभी अमेरिकियों की 6टी सबसे पसंदीदा जगह है। बात की जाए व्यापार की तो अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारी देश बन गया है। और जैसे संबंध अमेरिका के साथ चल रहे है , हमें भविष्य में ये व्यापार बढ़ते हुए दिखेगा।
भारत के लिए अमेरिका का ट्रेड पार्टनर की सूची में सबसे ऊपर होना अच्छी बात है । ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका से व्यापार में भारत को ज्यादा फायदा होता है , क्योंकि भारत अमेरिका को एक्सपोर्ट ज्यादा करता है । इससे भारत अमेरिका में ट्रेड हमेशा सरप्लस में रहता है।
इन सब के अलावा भारत और अमेरिका डिफेंस सेक्टर में भी साझेदारी को बढ़ा रहे है। ये डिफेंस अब करीब 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है । दोनो देश इसके साथ कई डिफेंस एग्रीमेंट के तहत कई तरह की जानकारियां एक दूसरे से शेयर करेंगे। जिससे इंडो पेसिफिक में शांति लाई जा सके।
ऐसे ही कई एग्रीमेंट में अभी साइन किया गया BECA एग्रीमेंट दुनिया में चर्चा में है। इसके तहत भारत अमेरिका एक दूसरे से अपनी सैटेलाइट और गूगल मैप के जरिए अपने दुश्मनों पर नजर रख सकते है। नाटो देशों के अलावा भारत ही इकलौता देश है जिसने अमेरिका से इसे एग्रीमेंट साइन किए है ।
इन सब के अलावा अमेरिका में भारत का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। आज अमेरिका में करीब 44 लाख भारतीय रहते है। ये अमेरिका की कुल आबादी का 1.3 प्रतिशत है। अमेरिका में जितनी भी बड़ी बड़ी कंपनिया है , उन सबके सीईओ आज भारतीय है। भारत से अमेरिका कई स्टूडेंट्स पढ़ने जाते है। अमेरिका में सबसे ज्यादा कमाने में भारतीय सबसे आगे है। इससे भारतीय लॉबी अमेरिका ने सबसे मजबूत बन रही है।
अमेरिका–भारत का भविष्य:—
भविष्य की बात की जाए तो अमेरिका और। भारत के संबंध मजबूत ही रहने वाले है। ऐसा इसलिए क्योंकि आने वाले 10 से 15 सालों तक दोनो को एक दूसरे की जरूरत है।
आने वाले कुछ सालो में अगर भारत को अपनी इकोनॉमी को मजबूत करना है तो उसे अमेरिका का बहुत जरूरत है। ऐसा इस लिए क्योंकि जिन जिन देशों ने अमेरिका के साथ अच्छे रिश्ते रखे है उनकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है । फिर चाहे वो चीन हो , जापान हो या उत्तर कोरिया हो।
वैसे भी जब बात दोनो की फायदे की हो तो हर देश एक साथ काम कर सकते है। और ये बात अमेरिका के भी फायदे में भी है , क्योंकि जैसे जैसे चीन अर्थव्यवस्था के मामले में अमेरिका को चुनौती दे रहा है इससे अमेरिका को भी समझ आ रहा है कि अगर चीन को कोई एशिया में चुनौती दे सकता है तो वो भारत है।
इन्ही सब कारणों से अमेरिका ने क्वॉड जैसा महत्वपूर्ण ग्रुप बनाया है। जिससे चीन खासा परेशान नजर आ रहा है। तो अगर बात की जाए भारत में भविष्य की तो भारत भविष्य में एक आर्थिक और मिलिट्री महाशक्ति के रूप में बनकर उभरने जा रहा है।
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