google-site-verification=zg3Xci58-908fztFVfw5ltDDK7t7Q250EoMrB9rswdA अमेरिकन मीडिया क्यों हर बार भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करता है?

About Me

My photo
GAURAV.9898
Hello India ! This is Gaurav mahawar. I am from Rajasthan,kota. Here I post my blogs about Indian politics, western views about india. I have another blog too.... Where I discuss about health tricks n tips All n all in hindi.
View my complete profile

अमेरिकन मीडिया क्यों हर बार भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करता है?

 अभी हाल ही में , भारत ने अपने कोरोना द्वारा दिए गए सबसे बुरे दौर को पीछे छोड़ा है तथा अब आगे बढ़ने को अग्रसर है। और अब जब कोरोना काल पीछे छूट चुका है तो अब कुछ सवाल है जो की भारत और भारत के लोगो का पूछना बनता है। सवाल ये कि भारत कोविड 19 से लड़ रहा था, तब द न्यू यॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे कुछ प्रतिष्ठित अखबार भारत को घेरने में लगे थे। इसमें चाहे वॉशिंगटन पोस्ट का जलती हुई चिताओं का फोटो कवर पेज पर छापना हो या न्यू यॉर्क टाइम्स का गंगा किनारे लाशों का फोटो लगाकर एक आर्टिकल लिखना । 



इन चीजों को देखकर लगता है कि इन प्रतिष्ठित अखबारों को अपने देश अमेरिका की स्थिति का कोई भान नहीं। ये सब अपने देश की स्थिति को इग्नोर करके बस ये साबित करने में लगे है , जैसे की इस वायरस ने पूरी दुनिया में सिर्फ भारत को ही नुकसान पहुंचाया है। या फिर लोग भूल गए है की अभी भी कुल मिलाकर सारे कोविड के केस के मामले में अमेरिका नंबर एक पर है। सिर्फ इतना ही कीर्तिमान अमेरिका के सर नही है बल्कि मृत्यु दर के मामले में भी अमेरिका ही नंबर एक पर है। जी हां , द सुपर पावर अमेरिका, जिसकी अर्थव्यवस्था भारत से करीब 7 गुना अधिक है तथा सभी प्रकार की आधुनिक तकनीकों से लैस है, उसी की बात हो रही है।



वैसे ये अखबार अमेरिका को बेइज्जत करने में लगे है या भारत को घेरने में ? इनकी ये बौखलाहट साफ बताती है कि इन्हे ये बात कही हजम नही हो रही कि भारत में इतनी घनी आबादी होने के बावजूद इस वायरस ने उतना नुकसान नहीं पहुंचाया जिसका ये लोग अनुमान लगा कर बैठे थे । उल्टा इस वायरस ने अमेरिका को ही सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाई है। शायद इसीलिए ये अखबार भारत के कोरोना केस पर सबसे ज्यादा फोकस करने पर लगे है। 

अगर बात ताजा आंकड़ों कि की जाए तो आज की तारीख में अमेरिका में 30 करोड़ आबादी होने के साथ करीब 3.35 करोड़ केस आ चुके है जिसमे मृत्युदर 6.01 लाख है । वही अगर भारत की बात की जाए तो 135 करोड़ से ज्यादा की आबादी होने के बावजूद अभी तक भारत में 2.9 करोड़ केस आए है , जिसमे मृत्यु दर करीब 3.87 लाख है , अमेरिका से लगभग आधी। अगर ये भी मान लिया जाए भारत के आंकड़े गलत है , ओर अगर हम इसमें 1 लाख और जोड़ दे तो भी मृत्यु दर अमेरिका से कम है। यही बात है जो अमेरिका के साथ साथ पूरी दुनिया को हजम नही हो रही।



कभी कभी ये सोचता हूं , कि क्या द न्यू यॉर्क टाइम्स और वाशिंग टन पोस्ट भारत के मीडिया के स्त्रोत है? सवाल इसलिए क्योंकि ये अखबार जितने सवाल भारत की सरकार पर उठाते है उतना शायद अमेरिका की सरकार से नही पूछते। बात हास्यास्पद है , परंतु जो दिखता है उसे झुठलाया नहीं जा सकता। 

यह अमेरिकन अखबार जो भारत के बारे में इतना कड़वा बोलते है , क्या इन्हे अपने देश की दशा पर कोई आर्टिकल नही सूझता ? या इन्हे भारत की जलती चिताओं और गंगा किनारे लाशों के अलावा ये नही दिखता की एक समय वो भी था जब अमेरिका में शवों को दफनाने के लिए मशीन से खुदाई करने की नौबत आ गई थी। चलिए इस बात को छोड़ भी दिया जाए तो क्या इन अखबारों को चीन द्वारा फैलाए गए इस प्राणघातक वायरस पर कोई आर्टिकल नही लिखने आते? या हिम्मत नही है की चीन के खिलाफ कुछ भी बोल सके? 

जो अमेरिका के अखबार भारत के बारे में इतना कुछ छपते है , क्या उन्हे ये नही पता जब भारत में कोरोना पीक पर था उसी समय इसी अमेरिका ने भारत की वैक्सीन के लिए काम में आने वाले कच्चे माल पर रोक लगा दी थी क्या इन अखबारों ने अपनी सरकार से इस बारे में कुछ पूछा ? नही , क्योंकि अमेरिका का अखबार भारत से सवाल करने में लीन था। 



अमेरिका का वैक्सीन के कच्चे माल पर रोक लगाना , अमेरिकन मीडिया का भारत पर लगातार प्रश्न चिन्ह लगाना कही ना कही ये सोचने पर मजबूर करता है कि क्या अमेरिका और अमेरिकन वाकई भारत के हितेशी है? जब ट्रंप खुल कर भारत का समर्थन करते थे तो ये अमेरिकन मीडिया ट्रंप का विरोध करने लगा था । क्या इतनी कड़वाहट के बाद भी अमेरिकन मीडिया पर विश्वास किया जा सकता है? 

ये वही अखबार है जो भारत को नीचा दिखाने से पहले ये भूल जाते है कि एक 22 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश जिसके पास किसी चीज को कमी नहीं और आबादी भी सिर्फ 32 करोड़ है , उसके कोरोना केस और मृत्युदर उस देश से बहुत ज्यादा है , जिसकी अर्थव्यवस्था सिर्फ 3 ट्रिलियन डॉलर की है, तथा आबादी के लिहाज से अमेरिका से करीब साढ़े 4 गुना अधिक है। 

निजी तौर पर मुझे ऐसा भी लगता है कि इस पूरे कृत्य में सिर्फ अमेरिकन मीडिया ही नही भारतीय मीडिया भी उतना ही जिम्मेदार है। जब आप दूसरे मीडिया हाउस के लोगो की बात को ज्यादा तरजीह देने लगते है तो कही ना कही आपकी संस्थान या मीडिया हाउस की विश्वसनीयता पर भी एक प्रश्न चिन्ह लगता है। 

मेरा इन विदेशी चैनलों के बारे में यह विचार आना इसीलिए भी स्वाभाविक है कि यह सभी विदेशी चैनल सिर्फ सैटेलाइट के चित्र तथा सुनी हुई और अंदाजा लगाया गया डाटा के आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करते है जमीन पर क्या चल रहा है इनका इन्हे दूर दूर तक कोई भान नहीं होता । सिर्फ अपने अंदाजे से न्यूज रूम में बैठे यह तय कर लेते है कि भारत में कोरॉना सिर्फ इसलिए बढ़ जाएगा क्योंकि वहां की अर्थव्यवस्था बाकी विकसित देशों जितनी नही है । और आबादी भी घनी है। लेकिन शायद यह अंदाजे लगाते वक्त शायद ये लोग भूल जाते है कि भारत दुनिया भर की फार्मेसी फैक्ट्री माना जाता है। यहां के लोग कठिन से कठिन जगहों पर आसानी से रह लेते है जिसके वजह से यहां के लोगो में रोग प्रतिरोधक क्षमता और देशों के लोगो से अधिक है। 

उम्मीद है कि एक समय विदेशी मीडिया चैनल भी इस बात पर भी गौर करेंगे और भारत और भारत के लोगो के प्रति अपना नजरिया बदलेंगे।

अगर आपको ऐसा लगता है कि ये बात औरों को भी पता चलनी चाहिए तो इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।

Post a Comment

0 Comments