google-site-verification=zg3Xci58-908fztFVfw5ltDDK7t7Q250EoMrB9rswdA क्या फिर से अखंड भारत बन सकता है ?

About Me

My photo
GAURAV.9898
Hello India ! This is Gaurav mahawar. I am from Rajasthan,kota. Here I post my blogs about Indian politics, western views about india. I have another blog too.... Where I discuss about health tricks n tips All n all in hindi.
View my complete profile

क्या फिर से अखंड भारत बन सकता है ?

 अभी हाल ही में भारत को आजाद हुए करीब 75 वर्ष पूरे हुए हैं और आने वाले 25 सालों में भारत को आजादी मिले करीब 100 वर्ष हो जाएंगे। इसी उपलक्ष्य में कई एक्सपर्ट्स यह सोचने लगे हैं कि आने वाले 25 सालों के बाद क्या भारत एक अखंड भारत बन पाएगा ?



ऐसा विचार आना इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि सन 1947 में जब भारत को आजादी मिली तब अमेरिका तथा ब्रिटेन को लगा कि भारत बहुत जल्दी अर्थव्यवस्था तथा अन्य वर्गों में ढह जाएगा। इन्हें ऐसा लगता था कि भारत खुद के दम पर विकास नहीं कर सकता लेकिन ऐसे तमाम  लोगों को गलत साबित करते हुए भारत ने अभी कुछ ही दिन पूर्व अपनी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण किए।

75 वर्ष पूर्ण करने के साथ-साथ भारत बहुत तेजी से विकास करते हुए फिर से पहले की तरह मजबूत तथा संपन्न बनता जा रहा है। 

तो सबसे पहले बात करते हैं कि अखंड भारत आखिर है क्या ? तो आप लोगों की जानकारी के लिए पहले भारत की सीमा अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक फैली थी। इसी अखंड भारत के कई सबूत आपको कई जगह मिल जाएगा चाहे वह चोला अंपायर हो , मौर्य एंपायर हो या फिर इंडोनेशिया में हाल ही में कई भव्य प्रतिमाओं का मिलना हो।

इन सबके अलावा हमारी कई भारतीय प्रार्थना में भी आपको अखंड भारत का सबूत मिल जाएगा।

ऐसा माना जाता है कि अखंड भारत मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कई हिस्सों में टूट गया था। अगर हम हाल ही के इतिहास को पलट कर देखें तो अखंड भारत को सबसे ज्यादा नुकसान अंग्रेजों की हुकूमत में हुआ था। 1857 से लेकर सन 1947 तक अंग्रेजों ने अखंड भारत को कई अलग-अलग देशों में तोड़ा था। 

इसी कड़ी में सन 1907 में भूटान को भारत से अलग किया गया था।1914 में तिब्बत को , 1919 में अफगानिस्तान को , 1923 में नेपाल को , सन 1937 में म्यांमार को सन 1947 में पाकिस्तान तथा पूर्वी पाकिस्तान को और सन 1948 में श्रीलंका को भारत से अलग किया गया था।

भारत के कितने हिस्से करने के बाद भी अंग्रेजों को खुशी नहीं मिली और वह भारत को 500 से भी ज्यादा की रियासतों में तोड़ना चाहते थे क्योंकि कहीं ना कहीं अंग्रेजों को पता था कि भारत अगर विकास करने की राह पर आगे बढ़ा तो उसे विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता तथा इसी के साथ अगर भारत एक बार विकसित हो गया तो हो सकता है वह अंग्रेजों से 200 वर्षो की गुलामी का बदला जरूर ले।

इसी डर के चलते अंग्रेजों ने भारत को 500 से ज्यादा रियासतों में तोड़ दिया था। इन सभी रियासतों के सामने अंग्रेजों ने यह ऑफर रखा था कि आप चाहे तो भारत या पाकिस्तान में से किसी एक को चुन सकते हैं या फिर आप स्वतंत्र राष्ट्र भी बन सकते हैं।

लेकिन अंग्रेजों की इस चाल को सरदार पटेल ने बेअसर करते हुए सभी राज्यों को भारत में मिला दिया सिर्फ कश्मीर की जिम्मेदारी नेहरू जी को दी गई जो कि अगर सरदार पटेल को दी गई होती तो शायद आज कश्मीर में पूर्ण रूप से भारत में सम्मिलित होता। 



तो इतिहास के बारे में बात ना करते हुए बात अगर भारत के भविष्य की की जाए तो भारत में लोगों के अखंड भारत को देखने का नजरिया दोतरफा है। कुछ लोग मानते हैं कि अखंड भारत के अंदर पाकिस्तानी पीओके तथा अक्साई चीन का वह संपूर्ण इलाका जो अभी भारत के अधन नहीं है। इन दोनों इलाकों को भारत में सम्मिलित करना कुछ लोग को अखंड भारत लगता है। जबकि वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक संपूर्ण हिस्सा भारत में सम्मिलित हो तभी भारत अखंड भारत बन सकता है।

इन्हीं सभी बातों में एक सवाल आता है कि क्या भारत एक अखंड भारत बन सकता है तो इसका जवाब है..... हां! सपने को पूरा करने के लिए भारत के लिए 2 विभागों का मजबूत होना आवश्यक है।

             
                   ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


पहला विभाग है अर्थव्यवस्था तथा दूसरा विभाग है मिलिट्री। वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था की तर्ज पर भारत को देखें तो आजादी के 75 वर्षों बाद आज भारत की अर्थव्यवस्था करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर्स हो गई है जो कि आने वाले 25 सालों में कई अर्थशास्त्रियों के अनुसार करीब 25 से 30 ट्रिलियन डॉलर्स तक की हो सकती है।

इन सबके अलावा अगले 25 साल बाद भारत अर्थव्यवस्था के वर्ग में कहीं अधिक मजबूत हो चुका होगा यहां से गरीबी बिल्कुल खत्म हो चुकी होगी और यहां के लोगों का रहन-सहन का स्तर भी अपने सभी पड़ोसी देशों से ज्यादा अच्छा हो चुका होगा। 

 

                   ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

बात करें अगर भारत के पड़ोसी देशों की तो आने वाले कुछ सालों में भारत के पड़ोसी अफगानिस्तान , भूटान , बांग्लादेश , श्रीलंका , नेपाल ,  पाकिस्तान , इत्यादि की अर्थव्यवस्था ढह चुकी होगी। 

अफगानिस्तान व श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पहले से ही ढह चुकी है , पाकिस्तान और नेपाल बहुत बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं आने वाले 2 सालों में इनकी भी अर्थव्यवस्था डामाडोल हो जाएगी , भूटान की कुछ खास अर्थव्यवस्था नहीं है , म्यांमार में सैन्य शासन चल रहा है जिस वजह से कई देशों ने म्यांमार पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं , तथा बांग्लादेश भी अब लोन के लिए आई एम एफ के चक्कर लगाना शुरु कर चुका है।

अभी हाल ही में बांग्लादेश ने अचानक पेट्रोल की कीमतों में 52% की बढ़ोतरी कर दी है बाहर से आने वाले महंगे सामान ऊपर रोक लगा दी है आईएमएफ से करीब 4.5 बिलियन डॉलर के लोन की गुजारिश भी कर दी है। अगर हाल ऐसा ही रहा तो आने वाले 3 – 4 सालों में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।


            ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि आने वाले कुछ साल में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में आने वाली है जिसके अंदर भारत के कई पड़ोसी देश की है। वही जो ब्लूमबर्ग की प्रकाशित रिपोर्ट में भारत के मंदी में जाने के की आशंका 0% है।


              ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

भारत के सभी पड़ोसी देश भारत की आर्थिक स्थितियों के मजबूत होते ही भारत के साथ या तो रिश्ते सुधरेंगे या फिर भारत में मिलने की सोच सकते हैं। वही भारत को जिस पड़ोसी से आर्थिक तौर पर कमजोर होने पर सबसे ज्यादा खतरा है वह पड़ोसी है पाकिस्तान। देखिए यह बात तो जगजाहिर है कि पाकिस्तान में इतने आतंकी है कि आप गिनते गिनते थक जाएंगे पर शायद यह गिनती खत्म नहीं होगी। 

जब पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराने लगेगा तो ऐसी आतंकवादियों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि होगी और पाकिस्तान इन आतंकवादियों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की पुरजोर कोशिश करेगा। ऐसी स्थिति में यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि भारत सैन्य ताकत में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि करें। 


                   ( विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

इन सभी देशों का भारत में सम्मिलित होने का कारण सर सिर्फ आर्थिक तौर पर मजबूत होना ही नहीं होगा बल्कि यह बात पूरी दुनिया जानती है कि भारत पूरी दुनिया में इकलौता देश है जहां पर आपके धर्म पर पालन करने पर कोई रोक नहीं है भारत हर धर्म के लिए एक बेहतर स्थान है।

वही बात करें धार्मिक आजादी या फिर ह्यूमन राइट्स की तो तो भारत के सभी पड़ोसी मुल्क कहीं ना कहीं लोगों को सामाजिक तौर पर दबाते हैं कई देश अपने यहां हर तरह से धार्मिक आस्था को बढ़ावा नहीं देते। भारत के कई पड़ोसी देश है जहां आज भी महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता और उन सब के लिए भारत की एकमात्र विकल्प है जो एशिया में है। 

अब अगर आपके मन में यह विचार आ रहा है कि क्या इतने सारे धर्म मजहब के लोग जो कई देशों में रहते हैं क्या वह एक साथ इकट्ठे रह सकते हैं? इसका जवाब है हां बिल्कुल क्योंकि कुछ समय पहले यूरोप में ही कई देशों में लोग मारकाट करते थे । आज वही सब मिलजुल कर रहते हैं और तेजी से विकास भी कर रहे हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद यूरोप के लोगों को या फिर कहां जाए वहां के सभी देशों को यह बात समझ में आ गई कि लड़ने से कुछ नहीं होगा लड़ाई से सिर्फ गरीबी , भुखमरी , बेरोजगारी , इत्यादि समस्याएं बढ़ती है। देखा जाए तो आज यही हाल एशियाई देशों का भी है। 

तो इन सब बातों से एक बात तो साफ हो जाती है कि अगर भारत या फिर एशियाई देशों को एक साथ विकास करना है तो उन्हें मिलजुलकर साथ आना होगा और साथ आने के लिए सबसे बेहतर विकल्प भारत ही है क्योंकि चीन किसी का सगा नहीं है। 

                                     ★ जय हिंद ★



Post a Comment

0 Comments