google-site-verification=zg3Xci58-908fztFVfw5ltDDK7t7Q250EoMrB9rswdA वीरदास – सही या गलत ?

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Hello India ! This is Gaurav mahawar. I am from Rajasthan,kota. Here I post my blogs about Indian politics, western views about india. I have another blog too.... Where I discuss about health tricks n tips All n all in hindi.
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वीरदास – सही या गलत ?

 मनोरंजन ..... आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में कुछ देर का मनोरंजन शायद हर इंसान को मानसिक तौर पर सारे दबावों से मुक्त करने का जरिया है। हम सब जानते है कि इसी मनोरंजन की तलाश में हम अलग अलग प्लेटफार्म में जाते है। 

इन्ही सब प्लेटफार्मो में एक आता है स्टैंडअप कॉमेडी– जहां एक कलाकार अपनी हंसाने की कला से सबको हंसाने का काम करता है। इस दिशा में कई हास्यकालकारो से रूबरू हुए है जिनमे कुछ प्रमुख नाम है : अभिषेक उपमन्यु , अनुभव सिंह बस्सी , आकाश गुप्ता , विपुल गोयल इत्यादी । 

                                   (इमेज सोर्स :– ट्विटर)

इन्हीं में से एक नाम आता है वीर दास का। ये भी एक स्टैंडअप कॉमेडियन है जो पिछले दिनों से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। वजह जानकर शायद आपको ये वाजिब भी लगे। दरअसल हुआ यूं कि कुछ दिनों पहले वीरदास अमेरिका में वॉशिंगटन में स्थित एक ऑडिटोरियम में हुए एक कॉमेडी शो में भारत के बारे में कुछ ऐसा बोल गए जो कही ना कही भारत के अपमान को दर्शाते है। 




वीरदास का केनेडी हॉल में ऐसा क्या कहा?

तो हुआ यूं कि अपने इसी कॉमेडी शो में वीर दास ने कहा – कि में भारत से आया हूं , ये वही देश है जहां सुबह को हम लोग औरतों को देवी की तरह पूजते है और रात को उन्हीं औरतों का सामूहिक बलात्कार करते है। इनकी इस बार पर जो इन्होंने हम शब्द का प्रयोग किया है इससे कही ना कही ये लोगो के मन ने ये मतलब बन जाता है कि पूरे भारत में ये कल्चर है और ज्यादतर लोग बस यही करते है। 


इनकी इस बात पर कई बीजेपी अथवा कांग्रेस के नेताओं के निंदा भरे बयान आए । मतलब साफ था कि इस बात से राजनीतिक पार्टियां भी सहमत नही है। इसी के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसका समर्थन भी किया , जिनमे शशि थरूर और कपिल सिब्बल जैसे नाम शामिल है। 

लेकिन एक आम भारतीय होने के नाते क्या आपको नहीं लगता कि विदेशों में भारत को इस तरह से प्रस्तुत करना भारत के लिए और हम सभी भारतीयों के लिए सही नही है? क्या ऐसे वाक्यों से वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगो के जीवन पर फर्क नहीं पड़ता ? क्या भारत जिसे आज पूरी दुनिया एक उभरते हुए बाजार के रूप में देख रही है उसकी साख पर कोई फर्क नहीं पड़ता? 

जवाब है ... हां। बिलकुल फर्क पड़ता है बल्कि आजकल के सिविल वॉर वाले पैटर्न में दूसरे दुश्मन देश यही काम करते है जिससे किसी भी देश में स्थिरता ना हो और वहां विकास ना हो। और देखा जाए तो ये काम दुश्मन देशों को करने की कोई जरूरत नहीं लगती , क्योंकि यहां लोग चांद पैसे के चलते ये काम बखूबी करते है। मैं हैरान होता है कि कैसे लोग ऐसे लोगो का समर्थन कर सकते है? 

मतलब मेरा मानना है कि बलात्कार वाकई देश की बहुत बड़ी समस्या है और इसपर बात भी होनी चाहिए । लेकिन ये सब देश के भीतर हो तो ही बेहतर है , क्योंकि बाहर इन बातों का कोई खास फायदा नहीं होता। क्योंकि अमेरिका भारत में इस चीज़ को नियंत्रण में नहीं रख सकता । क्योंकि यहां भारत सरकार काम करती है , अमेरिकी सरकार नही। पर कुछ लोगो को ये बात समझ में नहीं आती। 

मेरा मतलब भारत में हमारा लोकतंत्र हमें बोलने की आजादी देता है । हमे भी इसका सम्मान करना चाहिए । अपने देश पर लांछन लगाना और इसकी प्रस्तुति अच्छे से देना हम सभी देशवासियों का कर्तव्य है।

इन सब चीजों से वहां रहने वाले भारतीयों में एक आम इंसान हो नही बल्कि प्रियंका चोपड़ा जैसे बड़े एक्ट्रेस को भी रेसिज्म के कॉमेंट झेलने पडे है। कुछ साल पहले प्रियंका चोपड़ा को भी वहा के कुछ लोगो ने यही कॉमेंट्स दिए कि तुम तो भारत चली जाओ और अपना गैंग रेप करवाओ । क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे लोग इन चीज़ों को और भी बढ़ावा देते है? 




आज में सच में सोच में पड़ गया हूं । हम वाकई में ऐसे लोगो को अपने सिर पर बैठाते है । लोग क्यों इस बात को नही समझते कि जब आप बाहर जाते है तो आप एक राइट विंगर या लेफ्ट विंगर नही बल्कि एक भारतीय के तौर पर खुद भी प्रस्तुत होते है और अपने देश को भी प्रस्तुत करते है। 


इनसे भारत की टूरिज्म इंडस्ट्री पर बहुत फर्क पड़ता है । फीमेल टूरिस्ट भारत में आने से पहले सोचती है। इसका एक कारण ये भी है कि बीच में ऐसी कई रिपोर्ट्स आई है जो कहती है कि भारत मोस्ट अनसेफ देश है औरतों के लिए। जी हां , ऐसी ही एक रिपोर्ट आई थी 2018 में टीआर फाउंडेशन की । इसमें कहा गया कि भारत सबसे असुरक्षित देश है औरतो के लिए , इसमें अमेरिका तीसरे नंबर पर था। इस रिपोर्ट के आने के बाद जहां कुछ लोगो ने भारत में राजनीतिक रोटियां सेंकने शुरू की वही अमेरिका के लोग इस रिपोर्ट पर भड़क गए , क्योंकि वो जानते थे कि इसका अमेरिका की साख पर क्या दुष्परिणाम होंगे। वहां के डेमोक्रेट और रिपुलिकन पार्टियां जो एक दूसरे के विरुद्ध रहती है वो भी इस रिपोर्ट पर एक साथ भड़क गए। 


तो यहां से एक बात तो बिल्कुल साफ है , वो ये कि ये हम भारतीय ही है जिन्हें हर जगह हमारी कमियां गिनान में बड़ा मजा आता है। वही बात की जाए दूसरे देशों की तो वहां के लोग अपने देश के बारे में दूसरो से ना तो बुरा बोलते है और ना ही अपने देश के विरुद्ध कुछ भी सुन सकते है। 

पर ये हमारा ही समाज है जो एक ऐसे कॉमेडियन को समर्थन दे रहा जिसकी खुद को कोई क्रेडिबिल्टी नही है। वीर दास जिसे आज कुछ लोग अपनी पलकों पर बैठाए बैठे है और इसका तर्क वो ये देते है कि उसने भारतीय महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाई है। तो उन लोगो के सामने इनके ही कुछ पुराने ट्वीट्स रखते है जो बहुत अच्छे से बता रहे कि महिलाओं के प्रति इनकी सोच कहां तक सीमित है — 


वीरदास आगे कहते है कि वो एक ऐसे भारत से आते है जहां देश का नेतृत्व युवा नही बल्कि सबसे बूढ़े व्यक्ति करते है। हालांकि इसमें व्यंग्यात्मक बात ये कि वीरदास ये सब जहां कह रहे थे उसी अमेरिका के प्रेसीडेंट बाइडेन खुद 78 साल के है , भारत के ही पूर्व प्रधानमंत्री जो कि कांग्रेस पार्टी से थी श्री मनमोहन सिंह जी को उम्र प्रधानमंत्री पद संभालते वक्त 72 साल थी। श्री नरेंद्र मोदी जी को उम्र अभी 70 वर्ष है। तो ऐसा कह कर वीरदास किसे निशाना बना रहे थे ये समझना थोड़ा मुश्किल है।

अंत में मेरा निजी विचार ये कहता है कि जब हमारे घर के झगड़े को घर में नही सुलझाने पर जोर देकर पड़ोसी से इसका हल निकलान के लिए प्रयंत्न करते है तो इसका कोई अर्थ नहीं निकलता। उल्टा समाज में आपकी साख ही खराब होती है। तो एक जिम्मेदार भारतीय होने के नाते हमे अपने देश को हर जगह सम्मान देना चाहिए।  

हम आशा करते है कि वीरदास भी इस बात को समझेंग और इसके अनुसार ही भविष्य में ऐसी गलतियां नही दोहराएंगे। इसी आशा के साथ इस ब्लॉग को यही समाप्त करते है। 

                                       धन्यवाद।

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