google-site-verification=zg3Xci58-908fztFVfw5ltDDK7t7Q250EoMrB9rswdA भारत के अबतक के निर्यात में 700% की बढ़ोतरी – मोदी सरकार में।

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भारत के अबतक के निर्यात में 700% की बढ़ोतरी – मोदी सरकार में।

भारत – दुनिया का पांचवा सबसे शक्तिशाली देश। ऐसा देश जो अपने सुरक्षा के मद्देनजर अपनी सेना पर अपनी जीडीपी का करीब करीब 2 से 2.5 % खर्च करता है। भारत का डिस्फेंस बजट करीब 60 बिलियन यूएस डॉलर है। 




भारत अपने इसी डिफेंस बजट का एक हिस्सा सैन्य उपकरण जैसे हथियार , टैंक्स , एंटी डिफेंस सिस्टम जैसी चीज खरीदने पर खर्च करता है। इसी वजह से भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर बन चुका है। भारत अपने हथियार ज्यादातर रूस , यूएस , फ्रांस , इजराइल आदि से खरीदता है।




इसी कारण आज भारत सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों में दूसरे स्थान पर है। लेकिन जैसे–जैसे सरकार ने आत्मनिर्भर बनने जोर देना शुरू किया वैसे वैसे भारत ने धीरे–धीरे ही सही पर अब हथियार खरीदने की जगह उसे खुद बनाने से लेकर बेचने तक के सफर पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। 2014 में सरकार बदलने के साथ साथ भारत ने अपनी नीतियों को भी काफी बदला है। 

ये सब शायद इसी का नतीजा है कि मोदी सरकार ने पिछले सात सालों में भारत से करीब 38,500 करोड़ के डिफेंस आइटम्स को एक्सपोर्ट किया है। ये अपने अपने आप में उस देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है जो सर्वाधिक हथियार दूसरे देशों से खरीदता है। 

तो, जैसे हमने बताया कि भारत सरकार बदलने के साथ ही एक अलग छवि को प्रस्तुत कर रहा है जो भारत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। तो देखते है कैसे कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों में इन नीतियों पर काम हुआ है —

तो स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट — जिसे हम सिपरी (SIPRI) के नाम से जानते है उसने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि भारत 2016 से 2020 के समय में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश बन गया है।

इस सरकार के सात सालों में भारत का डिफेंस बजट कई गुना बढ़ गया है। ऐसा जरूरी भी था क्योंकि कांग्रेस के शासन काल में भारत की फायर पावर कई गुना कम हो गई थी।

वर्तमान समय में किसी भी देश के पास कम से कम 20 का एम्युनेशन ( हथियारों का स्टॉक) होना जरूरी है , जिससे वह देश किसी भी वक्त जंग जैसे खतरों से खुद को बचा सके। 

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार में भारत के पास 20 तक की लड़ाई का साजोसामन था। लेकिन फिर 2004 में कांग्रेस की सरकार आई और ये दिन घटते चले गए। यही नहीं जब कांग्रेस शासन से गई तब भारत में सिर्फ 10 का एम्युनेशन देश की सेनाओं के पास बचा था।

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इसका सबसे मुख्य कारण था कांग्रेस सरकार ने कई डिफेंस की डील को साइन किया पर पूरी कोई भी डील नही करवा पाई। और जैसा हमने बताया भारत अपनी जीडीपी का 2 से 2.5% डिफेंस पर खर्च करता है जो कांग्रेस के शासन काल से करता आया है। लेकिन इतना पैसा होने के बावजूद कांग्रेस ने कोई नई डील को साइन नही किया , यहातक की ना कोई हथियारों को अपग्रेड किया , फिर भी पता नहीं 60 बिलियन यूएस डॉलर का डिफेंस बजट का पैसा कांग्रेस सरकार में आखिर जाता कहा था? 
इसी सुस्त नीति की वजह से कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल में न कोई हथियारों को खरीदने पर ध्यान दिया और ना ही उन्हें अपग्रेड करने पर। इन सबका नतीजा यह निकला कि जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तब देश में सिर्फ 20% हथियार ही ऐसे बचे जो सेना के लिए संतोषजनक थे।

लेकिन फिर 2014 में भाजपा ने सत्ता संभालीऔर नरेन्द मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने। मोदी सरकार ने आते ही धड़ाधड़ फैसले लेने शुरू किए और कई अधूरी डील को पूरा किया। इन सबके साथ–साथ मोदी सरकार ने नए हथियारों को भी खरीदना शुरू किया , और ये सब हथियार अब देश को मिल भी रहे है। ये सबकुछ आपके सामने है मगर सोचने वाली बात ये है कि कांग्रेस के शासन में हर साल के बजट में जब सरकार डिफेंस पर ज्यादा कुछ खर्च ही नही थी , तो ये पैसा आखिर जाता कहां था? 

खैर , जब से मोदी सरकार ने डिफेंस पर काम कारण शुरू किया है तब से लेकर अबतक देश में काफी सुधार हुआ है । आज देश की सेना के पास 40 दिनों तक लड़ने किए एम्युनेशन उपलब्ध है।

यूपीए सरकार की इन्हीं गलत नीतियों तथा फैसलों में देरी के चलते भारतीय वायुसेना ( इंडियन एयर फोर्स ) पर भी इसका असर पड़ा और हमारी वायुसेना की मारक क्षमता में काफी गिरावट आई। ये सब हुआ नए एडवांस्ड फाइटर जेट्स नही खरीदने से तथा पुराने जेट्स को अपग्रेड नही करने से।

आप लोगो ने न्यूज चैनलों के माध्यम से इस बात का अनुभव किया होगा कि भारत ने हाल ही में काफी बड़ी मात्रा में एयर क्राफ्ट , फाइटर जेट्स और कई अन्य चीजें खरीदी है । ये सब मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना को मजबूत करने के लिए किया है।

मोदी सरकार ने डिफेंस में आयात के साथ साथ निर्यात पर भी ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। ये सब 2014 में सरकार आने के बाद से ही शुरू हो गया था।
सिपरी (SIPRI) की रिपोर्ट्स की माने तो भारत की एक्सपोर्ट में रैंक 2015 से 2019 के बीच 23वी थी जो की 2019 खत्म होते – होते 19वी हो गई।





भारत द्वारा डिफेंस सेक्टर में इन सात सालों में किए गए निर्यात —

1. 2014 – 15 = 1940 करोड़ रुपए 
2. 2015 – 16 = 2059 करोड़ रुपए 
3. 2016 – 17 = 1521 करोड़ रुपए 
4. 2017 – 18 = 4682 करोड़ रुपए 
5. 2018 – 19 = 10,746 करोड़ रुपए 
6. 2019 – 20 = 9,115 करोड़ रुपए 
7. 2020 – 21 = 8,434 करोड़ रुपए 

आखिर के 7 सालो में भारत ने करीब 38,500 करोड़ रुपए के डिफेंस आइटम का निर्यात 42 देशों को किया है। इन देशों में मुख्यत यूएस , ऑस्ट्रेलिया , फ्रांस , जर्मनी , इजराइल , साउथ अफ्रीका , स्वीडन आदि देश शामिल है।

इसी के साथ – साथ आज भारत 18 से अधिक देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट को भी निर्यात कर चुका है। भारत ने इन सब के साथ आर्मर्ड प्रोटेक्शन व्हीकल , लाइट वेट टॉरपेडो , वेपन लोकेटिंग सिस्टम और टियर गैस लॉन्चर जैसे आइटम भी निर्यात किए है।

भारत ने कुछ ही समय में अपना डिफेंस का निर्यात बढ़ा दिया है , लेकिन अब भी भारत अन्य देशों की तुलना में सिर्फ 0.17% ही डिफेंस सेक्टर में एक्सपोर्ट कर पाया है। जो भारत जैसे देश के लिए एक बहुत ही कम हिस्सा है । 

अगर भारत अपने डिफेंस के निर्यात को बढ़ाना चाहता है तो हमे छोटे देशों को डिफेंस के समान देने पर जोर देना होगा। इसी के साथ साथ अन्य एशियाई देशों में भी निर्यात को बढ़ाना होगा ।  
भारत ने इसी को देखते हुए अपने लिए हर साल 5 बिलियन यूएस डॉलर के डिफेंस आइटम के निर्यात का टारगेट तय किया है। वर्तमान में भारत करीब 10,000 करोड़ रुपए के डिफेंस सेक्टर में निर्यात करता है , भारत को इसे करीब 35,000 करोड़ रुपए तक लेकर जाना होगा। 


( आर्टिकल का लिंक )👇
https://www.business-standard.com/article/current-affairs/india-bans-import-of-101-defence-items-for-self-reliance-rajnath-singh-120080900186_1.html



इसी के साथ–साथ भारत ने अपना डिफेंस के आयात को भी काम करना शुरू कर दिया है। जब से बीजेपी सरकार आई है , इसने आयात को कम करने पर जोर देने के लिए ‘ आत्मनिर्भर भारत ’ को शुरू किया तथा इसी के साथ साथ मोदी सरकार ने 9 अगस्त को करीब 101 डिफेंस आइटम के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन सबका लागत मूल्य करीब 47 बिलियन डॉलर से अधिक था। 

इसपर प्रतिबंध लगाने से भारत के ‘ मेक इन इंडिया ’ और ‘ आत्मनिर्भर भारत ’ को प्रोत्साहन मिलेगा । इसी के साथ भारत के घरेलू मॉफैक्चरिंग यूनिट को भी बूस्ट मिलेगा , इससे कई जॉब्स पैदा होगी।

भारत के इस प्रतिबंध के लगाने से भारत के करीब 52,000 करोड़ रुपए बचेंगे , और अगर लंबे समय के तौर पर देखा जाए तो इससे सरकार तथा अन्य प्राइवेट कंपनियों के 4 लाख करोड़ रुपए तक बचेंगे , जो कि बहुत बड़ी रकम है ।

आज के वर्तमान समय में भारत कई चीजों का उत्पादन देश में ही कर रहा है। इन सब में मुख्यतः :– आर्टिलरी गन , डेस्ट्रॉयर , क्रूज मिसाइल , लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट , कन्वेंशनल ( नॉन न्यूक्लियर) सबमरीन इत्यादि।




हाल ही में भारत ने अपना खुद का पूर्णतः स्वदेशी (मेड इन इंडिया) एयरक्राफ्ट आईएनएस विक्रांत को बनाया है।
तो , बीजेपी के आने के बाद से ही हमे डिफेंस सेक्टर में के बड़ा बदलाव देखने को मिला है। सामानों का उत्पादन यही होने लगा है , ये सभी अभूतपूर्व उपलब्धियां है। वो भारत जो एक समय हर एक चीज के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था , आज वो बहुत तेजी से अपनी कमियों को पूरा करते हुए आगे बढ़ रहा है।

बीजेपी के सरकार में आने के बाद मोदी जी ने सबसे ज्यादा फोकस भारत के डिफेंस सेक्टर को मजबूत बनाने तथा उसे आधुनिक बनाने में लगा हुआ है। इन्हीं सब के चलते आज बीजेपी में सरकार में आते ही भारतीय फौज को बेहतर हथियार के साथ आधुनिक बनाया है।
बीजेपी ने आते ही कई बड़ी तथा जरूरी डिफेंस को डील की है , इनके साथ साथ पुरानी अटकी हुई डील को भी पूरा किया है।
इन सबसे ज्यादा जरूरी बीजेपी ने सबसे ज्यादा ध्यान भारतीय सुरक्षा प्रणाली पर लगाया तथा इसे मजूबत बनाया है। ये सबसे ज्यादा जरूरी था इन्हीं कदमों में धारा 370 तथा 35–ए को हटाने जैसे बड़े फैसले लिए गए है। 

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ये सब जरूरी भी था , क्योंकि कोई भी देश अगर विकसित होना चाहता है तो ये बहुत जरूरी है कि वह अपने दुश्मनों ने बचा रहे तथा खुद को स्थिर करने पर ध्यान दे , तभी बाहर के देश भारत मे निवेश करेंगे । 
तो वें लोग जो कहते है कि भारत को एजुकेशन सेक्टर और हेल्थ सेक्टर पर पहले ध्यान देने चाहिए , ये सब तथ्यों से परे बात करते है। हमारे सामने आज कई ऐसे उदाहरण है जिन देशों ने कभी अपनी सुरक्षा जैसे मुद्दों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और आज बरबाद हो चुके है।

 अफगानिस्तान एक बहुत बड़ा और नया उदाहरण हमारे सामने है। और कुछ देश जिन्होंने पहली प्राथमिकता अपने देश को सुरक्षा को दी आज वो अत्यंत शक्तिशाली होने के साथ साथ विकसित भी है। इजराइल इसका जीता जागता उदाहरण है।

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