भारत के प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा सन् 1949 हुई थी। उस समय के भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु थे जिन्होंने ये यात्रा की थी। उनकी ये पहली यात्रा 11 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक चली थी।
पर अब धीरे धीरे ये यात्राएं देश में बहुत सामान्य हो गई। हर राष्ट्रध्यक्ष कई विदेश यात्राएं करता है। ऐसे ही जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने जब ऐसी ही विदेश यात्राएं करनी शुरू की तो विपक्षी दल कई प्रकार के तंज कसने लगे। तो जरा देखते है कि मोदी जी या मनमोहन सिंह जी में से किसने सबसे ज्यादा विदेश यात्राएं की है , तथा इससे भारत को कितना फायदा हुआ है।
तो अगर बात की जाए मनमोहन सिंह जी की तो उन्होंने अपने 10 वर्षो के कार्यकाल में करीब 96 विदेश यात्राएं की , और मोदीजी ने ये रिकॉर्ड 6 सालो में ही तोड़ दिया । उन्होंने 6 साल के कार्यकाल में 108 विदेश यात्राएं की।
मोदीजी की यात्राओं पे करीब 466 करोड़ खर्च हुए तो मनमोहन जी की यात्राओं पर 699 करोड़। पर हम इसे इस ना देखते हुए इस तरह देखते है की कौनसा पीएम ज्यादा एफडीआई भारत के लिए लाया ।
तो बात सबसे पहले पूर्व पीएम मनमोहन जी की – तो मनमोहन सिंह जी अपने 5 साल ( 2009 – 2014 ) तक 189 बिलियन डॉलर का एफडीआई भारत लाए । वही मोदीजी करीब 286.25 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट लाए। ये पैसा मोदीजी की विदेश यात्राओं का 0. 5 % भी नही है। जबकि मनमोहन सिंह जी उतना इन्वेस्टमेंट नही ला पाए।
अगर आपको लगता है कि ये डाटा असली नहीं है तो आप डिपार्टमेंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड की वेबसाइट पर जाकर देख सकते है। जो सच्चाई है उसे झुठलाया तो बिल्कुल भी नही जा सकता। मोदीजी की विदेश यात्राएं भारत के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध हुई है।
मोदीजी की यही विदेश यात्राएं भारत को नेशनल डिप्लोमेसी में भी फायदा देने लगी। वो भारत जिसे कभी किनारे कर दिया जाता था उसे अब काफी तवज्जो मिलने लगी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जब विदेश भारत में इन्वेस्ट कर रहे है, पैसा लगा रहे है तो वो भी चाहते है कि उनका पैसा कही भी डूबे नही। कोरोना काल में भी कई विदेशी कंपनियों ने भारत में इन्वेस्ट किया। एफडीआई के मामले में एक समय तो भारत ने अमेरिका तथा चीन को भी पीछे छोड़ दिया।
ऐसा जरूरी नहीं ,जो विदेश यात्रा कर रहा हो उससे देश को कुछ फायदा नहीं होता , कई देशों में चुनाव के बाद अक्सर वहा के राष्ट्रध्यक्ष ऐसी विदेश यात्राएं करते है। ये बिल्कुल सामान्य बात है । परंतु भारत में इन यात्राओं के अलग पहलू लोगो के दिमाग में आज भी है।
भारत का टूरिज्म सेक्टर में बढ़ोतरी—
कई दक्षिणी देशों की आज भी भारत को लेकर वही मानसिकताएं थी , जैसे गरीबी ,भुखमरी, गंदगी आदि। मोदीजी के विदेश यात्राओं में इन सभी भ्रांतियों में भी भारी गिरावट आई है। कई विदेशी सैलानी अब भारत आने लगे है । इससे भारत का टूरिज्म सेक्टर काफी बढ़ा है।
भारत की सॉफ्ट पावर —
बीते सालो में भारत के प्रति विदेशों के दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। इन्हीं के चलते जिस भारत को हमेशा विदेशी महासभाओ में दरकिनार कर दिया जाता था, अब वहा भी भारत का डंका बजने लगा है। भारत की बात को भी आज उतने ही ध्यान से सुना जाता है। भारत की सॉफ्ट पावर इन सब चीजों से मजबूत हुई है।
भारत की सॉफ्ट पावर तथा इंटरनेशनल डिप्लोमेसी का ही नतीजा था की भारत में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के भारत के फैसले पर भी किसी ने सवाल नही किए। पाकिस्तान हमेशा की तरह बस बोलते रह गया ।
इसके अलावा आज भारत में कई लोगो के मन में यह भावना है कि अगर देश के प्रधानमंत्री बाहर जाते है तो यह उनका प्रयोजन निजी स्वार्थ होता है। देश के करदाताओं का पैसे व्यर्थ करना होता है। लोगो के बीच ऐसी धारणा का पूर्ण श्रेय उन्हें देना भी लोगो के साथ बेईमानी होगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस भावना का श्रेय कई हद तक वर्तमान समय में विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री के दौरों पर टिप्पणी करना होता है। कई लोग विपक्ष में बैठ कर बस कुछ राजनीतिक स्कोर करने के लिए ऐसे बयान देते है , जैसे प्रधानमंत्री सिर्फ घूमने के लिए निकले है ।
प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों से देश के निवेश सेक्टर में कितना फर्क पड़ा है यह बात हम पहले ही कर चुके है। ब्लॉग लिखते समय मेरा ध्यान सबसे पहले इसी बात पर गया इसीलिए मैने सर्वप्रथम सारा डाटा आपके साथ साझा कर दिया है।
इन सबके अलावा आपलोगो ने एक बात पर अगर गौर किया हो तो शुरुआत में प्रधानमंत्री जी दौरों से उलट पिछले कुछ सालो मोदी जी के दौरे कुछ रुक से गए है। इसका प्रमुख कारण यही है कि जिस उद्देश्य से ये दौरे प्रस्तावित किए गए थे अब वे सभी लक्ष्य पूर्ण हो रहे है। इसलिए अब विदेशी दौरे प्रधानमंत्री जी के स्थान पर हमारे विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर कर रहे है।
अब वर्तमान समय में भारत की कूटनीति ( डिप्लोमेसी) का लोहा पाकिस्तान जैसे देशों समेत पूरी दुनिया मान रही है। आज भारत बिल्कुल संभल कर चलते हुए अंतराष्ट्रीय कूटनीति में बढ़ चढ़ कर काम कर रहा है।
विदेशी दौरे सिर्फ इसलिए नहीं होते कि भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री को देश चलाने के लिए बाहर के देशों में घूमना एक प्राथमिकता होती है। इनका प्रयोजन। सिर्फ और सिर्फ देश में निवेश को बढ़ाना होता है। इसीलिए आपने देखा होगा दौरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी करते है तथा विदेशी दौरे श्री मनमोहन सिंह जी भी करते रहे है।
ऐसा इसलिए भी क्योंकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री अगर खुद जाकर वहां के निवेशकों को यह विश्वास दिलाता है कि भारत निवेश करने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करने को प्रतिबद्ध है तो इससे विदेशी निवेशकों को भी यह विश्वास मिलता है कि हम एक विकाशील देश में निवेश कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है ।
आशा है आगे भी भारत ऐसे ही उन्नत करते हुए इसी दिशा में अग्रसर होगा तथा एक विकशील देश से विकसित देशों की श्रेणी में भी जल्द आएगा । जय हिंद !
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